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Chapters
6
Language
Hindi
Genre
Published
May 26, 2025
क्या आज़ादी की लड़ाई सिर्फ़ गंभीर चेहरों और जोशीले भाषणों की कहानी थी? बिल्कुल नहीं! 'आज़ादी के रंग, अंसारी के संग' आपको स्व० अब्दुल कय्यूम अंसारी साहब की ज़िंदगी के उस पहलू से रूबरू कराती है जहाँ देशभक्ति का जुनून और ज़िंदगी की हँसी-खुशी साथ-साथ चलती थी। यह किताब एक पत्रकार की नज़र से उनके जन्म से लेकर आज़ादी के आंदोलन में उनकी कूदने की कहानी बताती है। उनकी शिक्षा, एक विचारक के तौर पर उनकी कलम की ताक़त, और असहयोग आंदोलन में गांधीजी के साथ उनका तालमेल – सब कुछ यहाँ मौजूद है। यह सिर्फ़ इतिहास का पाठ नहीं, बल्कि एक ऐसे नेता की कहानी है जिसने अपनी बात कहने का अंदाज़ कभी नहीं छोड़ा, चाहे वो लेखनी से हो या राजनीति से। तैयार हो जाइए आज़ादी के एक ऐसे नायक की दास्तान सुनने के लिए जो शायद किताबों में थोड़ा कम छपे, लेकिन जिनके कारनामे कम दिलचस्प नहीं थे!
इस किताब के विषय, स्व० अब्दुल कय्यूम अंसारी, एक ऐसे शख़्स थे जिन्होंने कलम और कर्म दोनों से आज़ादी की लड़ाई लड़ी। 1 जुलाई 1905 को हेरौ, गया में जन्मे, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बेहतरीन शिक्षा पाई। मौलाना बनने के बाद भी, वे सिर्फ़ इबादत में नहीं डूबे रहे, बल्कि गांधी जी के आदर्शों पर चलते हुए असहयोग आंदोलन में कूद पड़े। एक विचारक और लेखक के तौर पर, उन्होंने अपनी लेखनी से समाज को जगाने का काम किया। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और सांसद के तौर पर भी उनका योगदान रहा। संक्षेप में, वे आज़ादी के दीवाने थे जिन्होंने अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जी और देश के लिए काम किया।
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